भारत में मीडिया के मानकों को बनाए रखने के साथ उनमें सुधार और इसके स्वतंत्रता के संरक्षण के उद्देश्य से प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिश के आधार पर वर्ष 1966 में संसद द्वारा भारतीय प्रेस परिषद् की स्थापना की गई थी। यह परिषद् प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत कार्य करती है। भारत में 1966 प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना की स्मृति में राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवम्बर को मनाया जाता है। इस दिवस का आरम्भ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने किया था। यह एक वैधानिक तथा अर्ध-न्यायिक संगठन है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भारत में प्रेस के स्वतंत्र कार्य तथा उच्च मानक सुनिश्चित करती है। यह भी सुनिश्चित करती है कि भारत में मीडिया किसी भी बाह्य कारणों से प्रभावित न हो। पत्रकारिता की स्वतंत्रता स्वस्थ लोकतंत्र को बनाये रखने के लिए आवश्यक है। मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका के आधार पर उसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। वही पत्रकार समाज का दर्पण होते हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी सच्चाई को सामने लाते हैं। यह दिवस पत्रकारिता की आजादी और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों का प्रतीक है।
मीडिया का कार्य केवल जो समाज में हो रहा है वे दिखाना ही नहीं है वरन् उससे आगे बढ़कर श्रेष्ठ समाज के निर्माण में जो होना चाहिए वह दिखाना भी होना चाहिए। सैटेलाइट्स तथा उससे संचालित इंटरनेट तथा स्मार्ट मोबाइल फोन ने प्रिन्ट, इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। हमें वैश्विक संचार तथा सूचना माध्यमों का अधिकतम उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए करके विश्व की एक न्यायपूर्ण तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) का गठन करना चाहिए। किसी देश का सुचारू संचालन कानून तथा संविधान के द्वारा होता है। देश स्तर पर तो कानून तथा संविधान का राज दिखाई देता है लेकिन विश्व स्तर पर कानून बनाने वाली विश्व संसद तथा विश्व संविधान न होने के कारण जंगल राज है। चंदे से चल रही विश्व की शान्ति की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच वीटो पावर से लैस पांच शक्तिशाली देश- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन तथा फ्रान्स अपनी मर्जी के अनुसार सारे विश्व को चला रहे हैं।
सोशल मीडिया जैसे सशक्त माध्यम के दुरूपयोग पर लगाम लगाने की तैयारी भारत सरकार की ओर से की जा रही है। भारत का सुप्रीम कोर्ट सोशल मीडिया के दुरूपयोग को रोकने के लिए सभी याचिकाओं की सुनवाई स्वयं करेगा। इस सन्दर्भ में भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसकी ओर से अगले तीन माह में सोशल मीडिया संबंधी नियम तैयार कर लिए जाएंगे। पूरी दुनिया के लिए सोशल मीडिया का दुरूपयोग एक गंभीर समस्या बन गया है। क्योंकि सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफार्म का दुरूपयोग रोकने के लिए कोई कारगर व्यवस्था नहीं कर रही हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मर्यादाओं को लांघ कर सोशल मीडिया का दुरूपयोग सभ्य समाज के समक्ष गंभीर संकट पैदा कर रहा है।
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डॉ. घपेश पुंडलिकराव ढवळे नागपुर
ghapesh84@gmail.com
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