Monday, June 15, 2020

रोहित वेमुला आत्महत्या "कायरता" और सुशांत आत्महत्या "दुःखद घटना" हो गयी.


सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के कुछ घंटे बाद ही प्रधानमन्त्री "मोदी जी" का दुःख भरा ट्विट आ गया, इसके अलावा तमाम उन व्यक्तिओ का दुःख भरा संदेश आ गया जो की;

"रोहित वेमुला की आत्महत्या पर इसे कायरता, मुर्खता, कह रहे थे, वेमुला को कायर कह रहे थे"

जबकि दोनों ही स्तिथि में सबसे कॉमन बात यह है की दोनों ही व्यक्ति;

"डिप्रेशन से ग्रस्त हो गये थे"

डिप्रेशन भी अलग अलग स्तिथि में अपना प्रभाव दिखाता है.

1.सुशांत सिंह का डिप्रेशन एकाएक मिली सफलता के बाद असफलताओ का सामना भी हो सकता है. जांच के बाद पता लगेगा की किस प्रकार का डिप्रेशन था. ऐसा डिप्रेशन भारत की अमूमन 135 करोड़ जनसँख्या को है, किसी को कम है और किसी को ज्यादा हो सकता है क्योंकि सन्तुष्ट तो मुकेश अम्बानी भी नही है। अनिल अंबानी कभी 6ठे नम्बर का अमीर व्यक्ति था, अब अपनी कम्पनियों को दिवालिया घोषित करवाने के लिए आवेदन कर रखा है।

2.रोहित वेमुला को जो डिप्रेशन था, वो डिप्रेशन उसका 25% जनसंख्या वाला एससी/एसटी समाज सैकड़ो वर्षो से धर्म के आधार पर झेल रहा है. बस उसका समाज धर्म के आधार पर इसे अपनी नियति समझकर झेलता रहा, लेकिन वर्ण व्यवस्था, जातिवादी माहोल से लडकर आत्मसम्मान व मनोबल प्राप्त कर चूका रोहित वेमुला जातिवादी मानसिकता के लोगो के दमन को झेल नही पाया इसलिए आत्महत्या का कदम उठा लिया.

3.रोहित वेमुला की आत्महत्या में स्मृति इरानी के पत्र पर काफी हंगामा हुआ था, और आज देखिए;

"स्मृति इरानी ने सुशांत सिंह राजपुर की आत्महत्या पर बड़ा ही दुःख प्रकट किया है"

4.इन सभी बातो में इतना तय है की सुशांत सिंह को जिस स्तर का डिप्रेशन रहा होगा, वो उस स्तर का नही होगा जिस उच्च स्तर का रोहित वेमुला को रहा है क्युकी इस डिप्रेशन की जड में भारत की "जातिवादी व्यवस्था" विधमान है. बकायदा रोहित वेमुला का सुसाइड पत्र अगर एक बार पढ़ लिया जाए तो जो बायस सामाजिक व्यवहार नही रखता है वो जरुर कहेगा की कितना दर्द था, कितना तनाव था, इतने तनाव में एक समाज सैकड़ो वर्षो से जी रहा है, यह ही अपने आप में बड़ी बात है.

4.फिर भी आत्महत्या का समर्थन नही किया जा सकता है. बाबा साहब को जब पारसी गेस्ट हाउस से सामान यह जानकर फैंक दिया गया की यह अछूत है, और उसके बाद बाबा साहब पार्क में "डिप्रेशन" में ही बैठे थे, लेकिन उन्होंने डिप्रेशन में अपने को मजबूत किया और ऐसा इतिहास लिख दिया जो हमेशा याद रखा जायेगा. फिर भी शोषित समाज सहित मुझे एक बेहतरीन एक्टिंग कर रहे सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर व्यक्तिगत तौर पर दुःख हुआ है. लेकिन क्या;

"रोहित वेमुला की डिप्रेशन में आत्महत्या पर भारतीय समाज को इतना ही दुःख हुआ?"

वास्तव में भारतीय जातिवादी समाज की सोच का यह ही बड़ा अंतर है, उन्हें अमरीका में जोर्ज फ्लाईड की हत्या पर दर्द होता है क्युकी अमरीका में वो स्वय ब्लैक की श्रेणी में आते है जबकि भारत में वो स्वय "श्वेत" अथार्त गोरे लोगो की मानसिकता रखकर एससी/एसटी पर जुल्म करते है, मजा लेते है, या फिर ऐसे जुल्म पर आँखे छुपा लेते है.

By
डॉ. घपेश पुंडलिक राव ढवळे , नागपुर 
      ghapesh84@gmail.com
      8600044560

No comments:

Post a Comment